रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इसकी शुरुआत रेल भवन से की
139 पर एसएमएस कर कैंसिल करवाएं
रेल यात्रा टिकट कैंसिल कराने के लिए अब आपको रेलवे के काउंटर पर जाने की
आवश्यकता नहीं होगी। घर बैठे ही आप अपना टिकट अपने मोबाइल से कैंसिल करा
सकते है। इसके लिए रेलवे पूछताछ नंबर 139 पर कॉल या एसएमएस करना होगा। इसके
अलावा आप आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर भी टिकट कैंसिल करा सकते है।ऑन
लाइन टिकट कैंसिल कराने के लिए यूजर आईडी की आवश्यकता भी नहीं होगी। टिकट
कैंसिल करवाने के बाद आप काउंटर पर जाकर निर्धारित समय के अंदर रिफंड राशि
ले सकते हैं। हालांकि वेटिंग टिकट वालों को फिलहाल इस सुविधा का लाभ नहीं
मिलेगा। यात्रा टिकट कंफर्म होना जरूरी है। शुक्रवार को इस सेवा की शुरुआत
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेल भवन से की।
प्रभु ने इसके साथ ही विदेशी पर्यटकों के लिए
अमेरिकन एक्सप्रेस के डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भी ई-टिकट आरक्षण लेने की
सुविधा शुरू की। पॉयलट प्रोजेक्ट सफल रहने पर इस तरह की सुविधा अन्य कार्ड
पर भी दी जाएगी।
पैसा रिफंड का नियम
पैसा रिफंड का नियम
ट्रेन के रवाना होने से चार घंटे पहले ही ऑनलाइन कैंसिलेशन व 139 के जरिए
टिकट कैंसिल होगा। कैंसिल कराए गए टिकट का रिफंड वहीं मिलेगा जहां से
यात्रा प्रारंभ होती है। जोनल रेलवे द्वारा निर्धारित किए गए निकटवर्ती
सेटेलाइट सेंटर पर भी यह हो सकेगा। जिन ट्रनों के खुलने का समय शाम 6 बजकर
एक मिनट से सुबह 6 बजे तक है उनके कैंसिल टिकट के लिए रिफंड का दावा दूसरे
दिन पीआरएस काउंटरों के खुलने के पहले दो घंटे के भीतर करना होगा।यानी सुबह
10 बजे के पहले। जिन ट्रेनों के खुलने का समय सुबह 6 बजकर 1 मिनट से लेकर
शाम 6 बजे के बीच है उनके लिए रिफंड का दावा रिफंड के लिए ट्रेन खुलने के
चार घंटे के भीतर उन पीआरएस काउंटरों के कार्यकारी घंटों के दौरान कराना
होगा जिन पर हर समय कैंसिलेशन किए जाते हैं। यानी करंट काउंटर पर रिफंड
मिलेगा। यह सुविधा उन्हीं को मिलेगी जिन्होंने अपना मोबाइल नंबर टिकट
बुकिंग के समय फार्म पर दिया होगा।
139 पर एसएमएस कर कैंसिल करवाएं
आप रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से कैपिटल लेटर में कैंसिल लिखें, स्पेस देकर
पीएनआर नंबर और फिर स्पेस देकर ट्रेन नंबर लिखें और 139 पर एसएमएस कर दें।
आपके रजिस्टर्ड मोबाइल पर ओपीटी (वन टाइम पासवर्ड) आएगा। ओपीटी स्पेस ओपीटी
नम्बर लिखकर 139 पर एसएमएस कर दें। फिर आपके मोबाइल पर एसएमएस आएगा कि
आपका टिकट कैंसिल हो चुका है। इसके बाद निर्धारित समय के भीतर आप काउंटर से
रिफंड ले सकते हैं।
आईआरसीटीसी के वेबसाइट से कैसे होगा कैंसिल
आपको आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाना होगा। वहां आपको यूजर आईडी की जरूरत
नहीं। साईट खोलते ही काउंटर टिकट कैंसिल करवाने का विकल्प दिखेगा। उस पर
क्लिक करते ही, वह पेज खुल जाएगा। यहां आप पीएनआर, ट्रेन नंबर और कैप्चा
लिखकर सब्मिट करना होगा। इसके बाद आपके मोबाइल पर ओपीटी नबंर आएगा। इसे
डालते ही आपका टिकट कैंसिल हो जाएगा और आप टिकट काउंटर पर जाकर रिफंड ले
सकते हैं।
ट्रेन खुलने से चार घंटे पहले ही करवा सकते हैं कैंसिल
इस सुविधा का लाभ यात्री ट्रेन खुलने के चार घंटे पहले तक ही उठा सकेंगे।
इसके बाद टिकट कैंसिल करवाने पर रिफंड नहीं मिलेगा। इस सुविधा की शुरुआत से
समय की बचत होगी। जैसे कि चार्ट बनने से थोड़ी देर पहले आपका जाने का
प्रोग्राम बदलता है लेकिन आप इतने कम समय में काउंटर पर नहीं पहुंच सकते
हैं तो इस सुविधा से आप टिकट कैंसिल करवा कर निर्धारित समय के अंदर रिफंड
ले सकते हैं। हालांकि वेटिंग टिकट वालों को इस सुविधा से लाभ नहीं मिलने से
उनकी परेशानी बनी रहेगी।
News Highlights
Railway Minister Suresh Prabhu, starting from Rail Bhavan
Get 139 SMS to cancel
Cancel my ticket to make rail travel now will not need to go to the counter of the railway. Sitting at home, you may cancel your ticket is your mobile. The railway inquiry number 139 to call or SMS. Also you can make the IRCTC website by going to cancel my ticket to cancel my ticket to Hakon line user ID will not be required. After making you go to cancel my ticket counter can take the refund amount within the stipulated time. While waiting at the moment for those tickets will not benefit from this feature. Travel tickets must be confirmed. On Friday, the beginning of the service building of the railway minister Suresh Prabhu.
Lord for foreign tourists as well as debit or credit cards from American Express to take the e-ticket reservation started. Successful pilot project will also be on the cards at other such facilities.
Refund money rules
Rule refund money to train four hours before departure online cancellation and will cancel tickets via 139. The ticket refund will be made to cancel the trip starts. Zonal Railways have defined it will be on adjacent satellite center. Tranon the opening hours of the evening 6 pm to 6 am, one minute they canceled the other day claiming refunds for tickets within two hours prior to the opening of PRS counters Hogakyani morning before 10 am.do not. The current counter will get refunds. This feature will be those who will have to form your mobile number when booking tickets.
Have you canceled 139 SMS from the mobile number registered in capital letters, type canceled, allowing the space PNR number and then type the train number and 139 SMS to give him space. On your registered mobile OPT (One Time Password) will come. Please write an SMS to number 139 OPT OPT space. Again SMS on your mobile will be your ticket has been canceled. Within the specified time then you can get a refund from the counter.
How would you cancel the IRCTC website will go on the IRCTC website. You do not need the user ID. Will cancel the ticket counter opens a choice of site. Clicking on it, the page will open. Here you PNR, train number and captcha will be submitted in writing. After that will come to your mobile phone number to OPT. It will be inserted and you cancel your ticket at the ticket counter, and refunds can take.
Train four hours before the opening of this facility, you can cancel the passenger train can take up to four hours before the opening. Cancellation will not get refund on the ticket. From the beginning of this feature will save time. While waiting to get tickets to those who do not benefit from this feature will continue their discomfort.
नई दिल्ली: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के एक अधिकारी के पास से 800 करोड़ रुपए बरामद होने के बाद सनसनी फैल गई है। मामला आंध्र प्रदेश का है। आईएएस का नाम ए. मोहन बताया जा रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरो की छापेमारी में इस बात का खुलासा हुआ है।
ACB की टीम ने जब आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा में डिप्टी ट्रांस्पोर्ट कमिश्नर ए मोहन के घर छापा मारा तो उनके घर से मिले सोने के गहने और प्रॉपर्टी के पेपर्स देखकर अफसरों के होश उड़ गए। एक-एक कर इस धनकुबेर घूसखोर अफसर के घर से करोड़ों की संपत्ति का पता चला।
एसीबी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में ए मोहन के नौ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर ACB आरोपी अफसर से पूछताछ कर रही है। अफसर के घर दो दिनों से छापेमारी चल रही है। सोने के गहनों के अलावा बड़ी संख्या में चांदी के बर्तन भी मिले हैं।
ACB के अफसरों के मुताबिक मोहन के कई बैंक लॉकर अभी भी खोले जाने बाकी है जिनसे कुछ और संप्तति का खुलासा हो सकता है।
मोटापा कम करना एक समस्य़ा बनता जा रहा है। जिसके कारण आपको कई समस्याओं का सामना करना पडता है। इसके लिए आप घंटो जिम में पसीना बहाते है। या फिर डाइटिंग करना शुरु कर देते है। लेकिन अगर आप कम मेहनत करके मोटापा घटाना चाहते है तो जीरा का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। जानिए इसके बारें में। जीरा एक ऐसा मसाला है जो खाने में बेहतरीन स्वाद और खुशबू देता है। इसकी उपयोगिता केवल खाने तक ही सीमित नहीं बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। कई रोगों में दवा के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
जीरे में मैंगनीज, लौह तत्व, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा मे होता है। इसे मेक्सीको, इंडिया और नार्थ अमेरिका में बहुत उपयोग किया जाता है। इसकी सबसे ज्यादा खासियत यह है कि यह वजन तेजी से कम करता है। इस लेख में विस्तार से जानिये कैसे जीरे के सेवन से कम होता है वजन।
एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा पाउडर, के सेवन से शरीर मे वसा का अवशोषण कम होता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करनें में मदद मिलती है।
ऐसे करें सेवन
एक बड़ा चम्मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म गर्म चाय की तरह पिये। बचा हुआ जीरा भी चबा लें। इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाती है। इस बात का विशेष ध्यान रखे की इस पाउडर को लेने के 1 घंटो तक कुछ ना खाएं।
भुनी हुई हींग, काला नमक और जीरा समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाए, इसे 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार दही के साथ लेने से भी मोटापा कम होता है। इसके सेवन से केवल शरीर से अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्कि शरीर में रक्त का परिसंचारण भी तेजी से होता है। और कोलेस्ट्रॉल भी घटता है।
जीरे के इस सेवन को लेने के बाद रात्रि में कोई दूसरी खाद्य-सामग्री नहीं खाएं। यदि कोई व्यक्ति धुम्रपान करता है, तम्बाकू-गुटखा खाता है तो उसे यह चीजें छोड़ने पर ही दवा फायदा पहुचाएंगी। शाम का भोजन करने के कम-से-कम दो घंटे बाद जीरे का सेवन करना है।
जीरा हमारे पाचन तंत्र को बहतर बनाकर हमें ऊर्जावान रखता है। साथ ही यह हमारे इम्यून सिस्टम को भी बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म का स्तर भी तेज होता है। हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के साथ-साथ फैट बर्न की गति को भी बढ़ाता है। पेट से संबधित सभी तरह की समस्याओं में जीरा का सेवन लाभकारी है।
जीरे का नियमित इस्तेमाल शरीर की शोधन की प्रक्रिया को तेज करता है। मोटापा कम करने के अलावा भी जीरा कई तरह की बीमारियों में लाभदायक हैं।
मलयालम अभिनेता जीनू जोसेफ के फेसबुक अपडेट को सही माने तो उनको
शुक्रवार को अबूधाबी एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया। जोसेफ एतिहाद
एयरलाइंससे न्यूयार्क से अबूधाबी पहुंचे तभी उनके साथ ये घटना हुई। उनको
इसकी जानकारी और वीडियो अपने फेसबुक अकाउंट पर अपडेट किया।उनके अपडेट के
मुताबिक अभिनेता फ्लाइट में सोना चाहते थे, लेकिन सामने लगा टीवी स्विच ऑफ
नहीं हो रहा था। उन्होंने मदद के लिए क्रू मेंबर को बुलाया। इस बीच जोसेफ
से क्रू मेंबर और अपनी वार्ता का अपने मोबाइल से वीडियो बनाना चाहा।
हालांकि सिर्फ दोनों के बीच बातचीत ही उस वीडियो में आ सका जिसे उन्होंने
फेसबुक पर अपलोड किया।इस वीडियो के मुताबिक क्रू मेंबर उनसे कह रहा है कि
वह वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं कर सकते। इसके बाद ऐसा लगा कि जब जोसेफ
रिकॉर्डिंग करते रहे तो क्रू मेंबर ने उनका फोन ले लिया। इसके बारे में
फेसबुक पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करवाने की धमकी भी दी
गई थी।
इसके बाद जोसेफ ने एतिहाद के फेसबुक पेज पर जाकर अपने
इस अनुभव के बारे में लिखा और अपने फॉलोअर से इसको शेयर करने के लिए भी
कहा। उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि एयरलाइन सर्विसेस से भी उन्होंने इस
बात की शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके साथ रंगभेद बर्ताव हुआ है। और इसके बाद
शुक्रवार को जोसेफ को अबू धाबी एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया।हालांकि
बाद में उन्होंने फेसबुक पर ही अपडेट दिया है कि उन्हें छोड़ दिया गया।
पासपोर्ट में अब ऐसे करवा सकते हैं ऐड्रेस से लेकर नाम तक को करेक्ट
नई दिल्ली। पासपोर्ट में अगर आपको किसी भी तरह का करेक्शन करवाना है
तो अब इसके नियम आसान हो गए हैं। नए नियमों के तहत आप आसानी से पासपोर्ट पर
अपने नाम, ऐड्रेस, वैवाहिक स्थिति, जन्म की तारी आदि में बदलाव करवा सकते
हैं। ऑनलाइन करें अप्लाई
पासपोर्ट में इस तरह के
बदलाव करवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके लिए आपको पासपोर्ट
इंडिया की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। अगर आप पहले से रजिस्टर्ड
हैं तो लॉगइन करें। ऐसे बदलवाएं नाम
पासपोर्ट पर
अगर आपके नाम की स्पेलिंग गलत छप गई है, या शादी के बाद आपका नाम या सरनेम
बदल गया है या फिर नाम में कुछ नया जोडऩा या हटाना चाहते हैं तो यह
प्रक्रिया अपनाएं।
1. आपको अपने नए नाम के डॉक्युमेंट के प्रूफ रखने होंगे। अगर आपके
पास नए पासपोर्ट में नाम की स्पेलिंग गलत है, तो उसे तुरंत पासपोर्ट ऑफिस
में जमा करवा दें। आपको फिर से पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
2.
इस लिंक पर क्लिक कर फॉर्म डाउनलोड करें। फॉर्म को ऑनलाइन भरके सेव करना
होगा और इसी फॉर्म को ऑनलाइन अपलोड करना होगा। इसके फॉर्म का प्रिंटआउट
निकालकर पासपोर्ट ऑफिस में सबमिट करना होगा।
3. इस लिंक पर पासपोर्ट
ऑफिस का अपॉइंटमेंट लेना होगा। अपॉइंटमेंट के समय फॉर्म, ओरिजनल
डॉक्युमेंट और इनके साथ सेल्स अटेस्टेड कॉपी को पासपोर्ट ऑफिस में सबमिट
करना होगा। इसके बाद आपका डॉक्युमेंट और पुलिस वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके
बाद डिपार्टमेंट घर पर पोस्ट के जरिए करेक्ट किया हुआ पासपोर्ट भेजेगा। इसके लिए ये डॉक्यूमेंट्स देने होंगे -
पुराना पासपोर्ट (ओरिजनल), पासपोर्ट के पहले और आखिरी दो पेजों की सेल्फ
अटेस्टेड फोटोकॉपी, नया आईडी सर्टिफिकेट, नाम बदलने का गजटेड नोटिफिकेशन,
मैरिज सर्टिफिकेट (अगर शादी होने के बाद सरनेम या नाम बदलते हैं तो), कोर्ट
ऑर्डर (अगर नाम में कुछ जोड़ते या हटाते हैं तो) और पैन कार्ड। पता बदलने के लिए करें ये
1.
पासपोर्ट रि-इश्यू करने के लि पासपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट की इस लिंक
पर क्लिक करके फॉर्म डाउनलोड करें। फॉर्म को ऑनलाइन भरके सेव करें और इसी
फॉर्म को ऑनलाइन अपलोड करें। इस फॉर्म का प्रिंटआउट निकाल कर पासपोर्ट ऑफिस
में सबमिट करना हेगा।
2. आपको अपने नए पते के डॉक्युमेंट के प्रूफ रखने होंगे।
3.
पासपोर्ट ऑफिस का अपॉइंटमेंट लेना होगा। अपॉइंटमेंट के समय फॉर्म, ओरिजनल
डॉक्यूमेंट और इनके साथ सेल्फ अटेस्टेड कॉपी को पासपोर्ट ऑफिस लेजाना होगा।
इसके बाद आपका डॉक्युमेंट और पुलिस वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके बाद
डिपार्टमेंट घर पोस्ट के जरिए करेक्टेड पासपोर्ट भेजेगा।
इसके लिए
ये डॉक्यूमेंट्स देने होंगे - पुराना पासपोर्ट, पानी का बिल या बिजली का
बिल, इनकम टैक्स असेसमेंट ऑर्डर, वोटर आईडी, स्पाउस पासपोर्ट कॉपी, आधार
कार्ड, रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट (अगर किराए के मकान में रहते हैं तो) वैवाहित स्थिति में ऐसे करवाएं बदलाव
1
आपको पासपोर्ट रि-इश्यू करवाना होगा। इसके लिए पासपोर्ट डिपार्टमेंट की
वेबसाइट पर जाकर आवेदन करें। शादी के बाद अगर आपका सरनेम बदला है तो इसके
लिए मिस्लेनियस सर्विस में जाकर फॉर्म-2 को भी डाउनलोड कर भरना होगा।
ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद आप उसको सबमिट करें, जिसके बाद पासपोर्ट ऑफिस की
तरफ से आपको वहां पर आने की तारीख और समय बता दिया जाएगा। इस फॉर्म को आपको
प्रिंट करना होगा।
इसके लिए ये डॉक्यूमेंट्स देने होंगे - आपको
अपने पति या पत्नी के पहले दो और आखिरी दो पेज की सेल्फ अटेस्टेड कलर फोटो
कॉपी देनी होगी। आपको अपने जीवन साथी के साथ में पर्सनली पासपोर्ट ऑफिस भी
जाना होगा, क्योंकि तभी आपके डॉक्युमेंट्स वेरिफाई हो पाएंगे। अगर आप अपने
पति या पत्नी के साथ में नहीं जाएंगे तो पासपोर्ट ऑफिस आपका फॉर्म रिजेक्ट
कर सकता है।
From the address in the passport can now where even the correct
new Delhi. If you have any kind of passport to be corrected so the rules are simple. Under the new rules, you can easily passport with your name, address, marital status, birth, and changes in Taree available.
Please apply online
Such changes in the passport application can be done online. For this you will need to register on the website of India Passport. Login if you are already registered.
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If your name is spelled incorrectly printed on the passport, or marriage changed your name or surname or name to add something new or delete, follow the process.
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To change the address or the
1. Re-issue of passport Ltd passport department's website by clicking on the link to download the form. Save online form, fill the form and upload online. Print out this form to submit a passport office in the hague.
2. You must keep proof of your new address document.
3. The Passport Office will make an appointment. At the time of appointment form, original document and a copy of their passport with self Atested office would carry. Your document will be followed by the police verification. After this post through the home department will send corrected passport.
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1 re-issue the passport has to. Apply by visiting the website of the passport department. If you have changed your surname after marriage Misleniys Service by visiting the download must complete the Form-2. After filling out the online form, you submit it, after which the Passport Office from the date and time will tell you there. You must print the form.
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आपके खिलाफ अगर किसी थाने में कोई आपराधिक रिकार्ड दर्ज नहीं है तो
आपको सिर्फ सात दिनों में पासपोर्ट मिल जाएगा। विदेश मंत्रालय ने जल्द
पासपोर्ट जारी करने के लिए नई सहूलियत दी है। इससे जरूरी पुलिस वेरिफिकेशन
में लगने वाले लंबे समय से बचा जा सकेगा।आधार कार्ड, एक आईडी और शपथपत्र
देने से आपको पुलिस वेरिफिकेशन से पहले ही पासपोर्ट जारी कर दिया जाएगा।
पुलिस जांच की प्रक्रिया उसके बाद पूरी की जाएगी। इस जांच में अगर संबंधित
द्वारा दी सूचना झूठी निकली तो उसका पासपोर्ट निरस्त करने के साथ ही विधिक
कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह आधार कार्ड और आईडी की भी ऑनलाइन जांच होगी।बता
दें कि पहले पासपोर्ट जारी होने में कम से कम एक महीने का वक्त लगता था।
पासपोर्ट जल्द जारी होने में सबसे बड़ा रोड़ा समय से एप्वाइंटमेंट नहीं
मिलना था। इस व्यवस्था के पटरी पर लाने में जिले के पासपोर्ट सेवा केंद्र
(पीएसके) को करीब साढ़े पांच साल लग गए। भीड़ अधिक होने से चलने लगी वेटिंग
2010 में पीएसके की स्थापना के समय एक दिन में करीब तीन सौ आवेदकों के
कागजात चेक करने की व्यवस्था थी, मगर भीड़ अधिक होने से दो से तीन महीने की
लंबी वेटिंग चलने लगी।इसे कम करने के लिए विदेश मंत्रालय ने यह संख्या चार
सौ से सात सौ और फिर 2015 में 1100 कर दी। संख्या बढ़ाने के बाद किसी तरह
वेटिंग समाप्त हुई और मौजूदा समय में आवेदन के दो दिन के भीतर ही कागजात
चेक करने के लिए एप्वाइंटमेंट मिलने लगे।इसके बाद भी पुलिस वेरिफिकेशन में
वक्त लगने से एक से डेढ़ महीने बाद ही आवेदकों को पासपोर्ट मिल पा रहा था।
ऐसे में विदेश मंत्रालय की इस सहूलियत से उन लोगों को ज्यादा लाभ मिलेगा
जिनके पास पासपोर्ट नहीं है और जिन्हें अचानक विदेश यात्रा की जरूरत पड़
जाती है।
जिस देश में सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्ज़ा और शाहरुख़ ख़ान जैसे
सेलिब्रेटी की ज़िंदगी पर बारीकी से नज़र रखी जाती हो, वहां अमिताभ बच्चन
का नाम चार विदेशी कंपनियों के प्रबंध निदेशक के रूप में सामने आने पर
लोगों की इस बारे में दिलचस्पी होना स्वाभाविक है.
हालांकि इंडियन
एक्सप्रेस अख़बार में पनामा फ़ाइल्स से संबंधित इस रिपोर्ट के बाद अमिताभ
बच्चन ने इन कंपनियों से अपना नाता न बताते हुए ये कहा था कि हो सकता है कि
उनके नाम का ग़लत इस्तेमाल हुआ हो.
1993 में बच्चन को अप्रवासी
भारतीय का दर्जा प्राप्त था और ये चार कंपनियां कथित तौर पर ब्रिटिश वर्जिन
आइलैंड्स और बहामा में दर्ज थीं.
(अमिताभ बच्चन पर हमारी सिरीज़ का पहला हिस्सा पढ़ें- कभी गांधी परिवार के क़रीबी थे, अब मोदी के..)
बहरहाल बच्चन परिवार की गांधी-नेहरू परिवार से दोस्ती आनंद भवन, इलाहाबाद के दिनों से है. उस वक़्त इंदिरा गांधी अविवाहित थीं.
सरोजिनी नायडू ने अमिताभ के माता-पिता, कवि हरिवंश राय बच्चन और उनकी सिख
पत्नी तेजी बच्चन का परिचय जवाहर लाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा से 'द पोएट
एंड द पोयम' कहकर कराया था.
जब अमिताभ चार साल के हुए तो उनकी
मुलाक़ात दो साल के राजीव गांधी से हुई. मौक़ा था, इलाहाबाद के बैंक रोड
स्थित बच्चन के घर में बच्चों की फैंसी ड्रेस पार्टी का और उसमें राजीव
गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के सिपाही बने थे.
एक साक्षात्कार में
अमिताभ ने कहा था, "मां ने कहा, उसने अपने पैंट में गड़बड़ कर दिया. हम सब
उस समय बहुत छोटे थे, अपने छोटे-छोटे खेलों में इतने मसरूफ़ कि हमें इस बात
से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा कि पंडित नेहरू के नाती हमारे बीच थे."
जब
नेहरू नई दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन में देश के पहले प्रधानमंत्री के
तौर पर रहने आए तो राजीव और उनके भाई संजय अक्सर बच्चन भाई अमिताभ और
अजिताभ के साथ खेलते नज़र आते.
और उनके साथ खेलते नज़र आते इंदिरा गांधी के सहयोगी मोहम्मद यूनुस के बेटे आदिल शहरयार और कबीर बेदी.
जहां
राजीव और संजय दून स्कूल में पढ़ते थे, अमिताभ और अजिताभ नैनिताल के
शेरवुड स्कूल में पढ़ते थे. छुट्टियों के दौरान सभी बच्चे नई दिल्ली आते और
रोज़ राष्ट्रपति भवन स्थित स्विमिंग पुल में एक साथ तैरते.
राजीव
और संजय ने अमिताभ को बड़े पैमाने पर सिनेमा से अवगत कराया ख़ासकर जब
यूरोपीय फ़िल्मों की ख़ास स्क्रीनिंग नेहरू-गांधी परिवार के लिए राष्ट्रपति
भवन में कराई जाती थी.
अमिताभ ने बताया है कि एंटी-वॉर मैसेज से
भरपूर फ़िल्में जैसे 'क्रेन्स आर फ्लाइंग' और दूसरी चेक, पोलिश और रूसी
फिल्मों की स्क्रीनिंग में वो राजीव और संजय के साथ होते थे.
इंदिरा के नज़दीकी सहयोगी यशपाल कपूर अमिताभ को बहुत पसंद करते थे.
कई
राज्यों में विपक्षी सरकारों को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले
कपूर के बार में कहा जाता है कि उन्होंने अमिताभ को दिल्ली के सेंट
स्टीफ़ेन्स कॉलेज में दाख़िला दिलाने की काफ़ी कोशिश की थी.
लेकिन
किसी कारणवश अमिताभ ने किरोड़ीमल कॉलेज को चुना, हालांकि उनके छोटे भाई
अजिताभ ने सेंट स्टीफ़ेन्स से अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की.
हिंदी
फ़िल्मों में अमिताभ ने पहली बार केए अब्बास की फ़िल्म 'सात हिंदुस्तानी'
में अभिनय किया था, यह फ़िल्म गोवा की आज़ादी पर आधारित थी.
माना
जाता था कि अब्बास तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के क़रीबी थे और
उन्होंने ही संघर्ष कर रहे अमिताभ की सिफ़ारिश उनसे की थी.
हालांकि
अब्बास ने हमेशा कड़े शब्दों में इस बात से इनकार किया कि उन्होंने इंदिरा
के कहने पर अमिताभ को अपनी फ़िल्म में रोल दिया था.
हरिवंश राय बच्चन बाद में राज्य सभा के सदस्य बने जबकि तेजी बच्चन को 1973 में फ़िल्म फाइनेंस कॉरपोरेशन का अध्यक्ष बनाया गया.
यही
वो समय था जब अमिताभ ने जया से शादी की. शादी में बहुत कम मेहमान बुलाए गए
थे लेकिन गांधी परिवार का प्रतिनिधित्व संजय गांधी कर रहे थे.
जब
अमिताभ एक अभिनेता के तौर पर उभरे तो राजीव उनसे मिलने फ़िल्मों के सेट्स
पर पहुंच जाते थे, अत्यंत विनीत और बहुत ही धैर्य के साथ उनकी शूटिंग ख़त्म
होने का इंतज़ार करते.
अमिताभ याद करते हैं, "उनका स्वभाव था कि वो
कभी भी अपने परिवार के नाम का दुरुपयोग नहीं करते थे. ज़्यादातर समय वो
अपने उपनाम का ख़ुलासा नहीं करते थे, इस डर से कि उनके और साधारण लोगों के
बीच फ़ासले बढ़ जाएंगे." उसके
बाद आया आपातकाल. अमिताभ को अक्सर संजय के साथ देखा जाता था और उन्हें
संजय का समर्थन करने के लिए मीडिया की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
11
अप्रैल 1976 को दिल्ली में "गीतों भरी शाम" नाम से कार्यक्रम का आयोजन
हुआ. इसे संजय और रुख़साना सुल्तान (अभिनेत्री अमृता सिंह की मां) के
विवादित परिवार नियंत्रण कार्यक्रम के लिए पैसा जुटाने के लिए आयोजित किया
गया था.
उस दिन जया और अमिताभ दोनों संजय के साथ उस कार्यक्रम में मौजूद थे.
इंदिरा
के आपातकाल के समय जब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ल
कठोर नीति अपनाकर हिंदी फ़िल्मों में हिंसा बंद करवा रहे थे, रमेश सिप्पी
की फ़िल्म 'शोले' पर्दे पर आई.
लेखक जोड़ी सलीम-जावेद और बाक़ी लोग परेशान थे कि क्या फ़िल्म सेंसर बोर्ड से पास होगी.
ऐसे
वक़्त में अमिताभ के संबंध काम आए और अमूमन अपनी बात पर अड़े रहने वाले
शुक्ल ने फ़िल्म के क्लाइमेक्स समेत कुछ छोटे-मटे बदलाव कर उसे पास कर
दिया.
पूरे 19 महीने लंबे आपातकाल के दौरान अमिताभ ऑल इंडिया रेडियो
और दूरदर्शन की ओर से किशोर कुमार पर लगाए गए प्रतिबंध और सरकार की खुलेआम
आलोचना करने वाले प्राण और देव आनंद जैसे कलाकारों के बहिष्कार पर चुप्पी
साधे रहे.
फ़िल्म पत्रकारों को कड़ी सेंसरशिप का सामना करना पड़ा और
युवा अमिताभ और ज़ीनत अमान से जुड़ी कथित तौर पर सनसनीखेज़ बातें दबा दी
गईं.
संजय की मौत के बाद राजीव की एंट्री हुई और तब दिल्ली के
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित 1982 एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह
में अमिताभ ने अपनी आवाज़ प्रदान की.
शो के मुख्य आयोजक राजीव गांधी पहली कतार में बैठे थे और अमिताभ शो एंकर कर रहे थे.
बोफ़ोर्स घोटाले के बाद इलाहाबाद से सांसद अमिताभ का राजनीति से मोह भंग हो गया और उन्होंने राजनीति छोड़ दी.
उन
पर मिडलमैन होने के आरोप लगे. अपने सम्मान के लिए अमिताभ लड़े और एक लंबी
क़ानूनी लड़ाई जीती. लेकिन वो राजनीति से अपना संबंध पूरी तरह नहीं तोड़
सके.
राजीव गांधी से अमिताभ के अलग होने को राजीव के राजनीतिक पतन
का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. 1987 के इलाहाबाद लोकसभा उप-चुनाव ने बंटे
हुए विपक्ष को ये समझा दिया कि 543 सीटों वाली लोकसभा में 413 सीटों वाली
कांग्रेस को साथ मिलकर हराया जा सकता है.
29 अगस्त 1998 में 'हिंदू'
में वरिष्ठ पत्रकार हरीश खरे ने लिखा था, "किसी को मिस्टर बच्चन के
करोड़पति होने पर शिकायत नहीं होनी चाहिए. किसी भी दूसरे व्यवसायी की तरह
उन्हें भी पैसे कमाने का अधिकार है. लेकिन दिक्कत है कि वो केवल एक दूसरे
व्यवसायी नहीं हैं. उन्हें हमारे हाल के समय के शुभंकर के तौर पर समझना
होगा."
उन्होंने लिखा, "1980 के दशक में वो प्रतीक बने उस सपने का,
जो ग़लत हो गया. 1990 के दशक में वो अभिजात वर्ग के स्तर पर निष्ठा की
उड़ान के प्रतीक बने, जब उन्होंने एक ग़ैर निवासी भारतीय बनने का विकल्प
चुना." "और
अब दशक के दूसरे भाग में वो इस बात की अकड़ दिखाते हैं कि वो वन-मैन
कॉरपोरेशन हैं, जो एक अर्ध-वैश्वीकरण, फ़्री मार्केट अर्थव्यवस्था में एक
नई भूमिका में ख़ुद को ढाल चुके हैं."
खरे ने आगे लिखा, "एक मध्यम वर्गीय युवक का कॉरपोरेट जगत के शिखर तक पहुंचने का यह अभूतपूर्व सफ़र है."
पूर्व
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहाकार के तौर पर काम कर
चुके खरे बच्चन के बारे में आगे लिखते हैं, "एक व्यक्ति जिन्होंने भारत में
बहुत कमाया, एक व्यक्ति जो 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' में भारतीय भावना की
एकता के शुभंकर बने, ऐसे व्यक्ति का भारत में दम घुटना उनके अंदाज़ में
ऐंठन पैदा करता है."
खरे ने इसके बाद में लिखा, "मिस्टर बच्चन
एनआरआई बन गए. शायद इसकी वजह उस दोस्त से अनजाने में मिला विश्वासघात हो,
जिसने क़रीब पांच सालों तक भारत पर शासन किया था. बच्चन की एनआरआई बनने की
इच्छा, उनकी विभाजित वफ़ादारी, उच्च वर्ग के दोहरे चरित्र को दर्शाता है."
खरे
का मानना है, "पूरे समय ये दिखाकर कि वो समाज सेवा कर रहे हैं, दरअसल
उन्होंने सार्वजनिक पैसे से ख़ुद की मदद की. फिर उच्च वर्ग के बच्चन ने
बड़े आराम से अपनी ही मातृभूमि को उस वक़्त छोड़ दिया जब सब कुछ बदसूरत और
भयावह होने लगा. ये ख़ूबसूरत लोग अयोध्या, सूरत, अहमदाबाद और मुंबई की बदबू
को बर्दाश्त नहीं कर सके." खरे
ने अपने लेख को कुछ इस तरह से ख़त्म किया कि लोग सोचने पर मजबूर हो
जाएंगे. उन्होंने कहा, "दूसरे किसी भी नागरिक की तरह मिस्टर बच्चन पहले भी
और अब भी किसी भी व्यवसाय में भाग लेने को स्वतंत्र हैं. लेकिन जो बात
सार्वजनिक जांच का विषय है, वो ये कि उनका अभी भी राजनीतिक गलियारों से
घनिष्ठ रिश्ते की दरकार. दरअसल इस देश को उद्यमशीलता के इस ब्रांड का खंडन
करना चाहिए जो पूरी तरह राजनीतिक संबंधों और राजनीतिक इनायत पर टिका है."
उत्तर किंवा पूर्वेकडे मुख करून बसावे. तरच फळ मिळते. दक्षिण किंवा पश्चिमेस मुख करू नये. स्फटीक मालेने जप केल्यास साम्राज्य, पुत्रजीवेने उत्कृष्ट लक्ष्मी, दर्भास गांठी मारून केलेल्या माळेने आत्मज्ञान, रुद्राक्ष माळेने सकलकामना पूर्ती, प्रवाळाच्या माळेने सर्वलोकवश होतात. आंवळ्याची माळ मोक्षप्रद असून मोत्यांची माळ सर्वविद्या देते. माणिकाची त्रैलोक्यास वश करते तर नीलाची किंवा मरकताची शत्रूस भय उत्पन्न करते. सुवर्णाची महाऐश्वर्य देते. रुप्याची माळ कन्येची प्राप्ती करून देते, पारदाची सर्व अर्थ प्राप्त करून देते. माळेत सर्वांत उत्तमोत्तम १०८ मण्यांची, १०० मण्यांची उत्तम, ५४ मण्यांची अथवा २५ ची अधम. या शिवाय २८ पासून १०० मण्यांपर्यंत करतात, त्यास आधार नाही असे म्हटले आहे.
जपमाळेचे प्रकार:
हातात धरून ज्या माळेचा जप केला जातो तिला करमाळा म्हणतात. ह्या जपमाळेतील मणी हे त्या विशिष्ट दैवताला आकर्षित करून घेण्याची ताकद ठेवतात. ह्या जपमाळेतील मणी म्हणजेच प्रत्येक एका विशिष्ट वैश्विक शक्तीला जागृत करण्याचा मार्ग आहे. त्यामुळे आपले नामस्मरणचे अंतिम उद्दिष्ट जाणून आणि गुरूंच्या आज्ञेने विशिष्ठ जपमाळेच्या सहाय्याने जप करावा आणि त्या वैश्विक शक्तीचा आशिष प्राप्त करून घ्यावा.
1. कमलाक्ष माळ : कमळ पुष्पं जे मुलतः पवित्रता आणि उत्पत्तीचे प्रतिक आहे, हे माता लक्ष्मीचे अति प्रिय पुष्पं आहे, त्यामुळे तिला कमला असाही संभोधतात. ह्याच मुळे लक्ष्मी देवीची साधना करताना कमळाच्या सुकलेल्या बियांपासून बनवलेल्या, कमलाक्ष जपमाळेचे अधिक महत्व आहे. ह्या माळेच्या आणि मंत्राच्या नियमित जपामुळे धन, भाग्य, सुख संतुष्टी ह्यांची प्राप्ती होऊ शकते.
2. तुळशी माळ : भगवान विष्णूंना तुळशी अतिशय प्रिय आहे, त्यामुळे तुळशीची माळ हि भगवान विष्णू, राम आणि कृष्ण ह्या देवतांच्या नामजपासाठी वापरतात. तुळशीला आयुर्वेदातातही अधिक महत्व आहे. तसेच तुळशी माळेच आध्यात्मिक उन्नतीसाठीही उपयोग होतो.
3. रुद्राक्ष माळ : रुद्राक्षापासून बनवलेली माळ ही भगवान शिव ह्यांच्या उपासनेस उत्तम असते. शिवपंथी हि मला तपस्येसाठी वापरतात. रुद्राक्ष वेगवेगळ्या प्रकारात उपलब्ध होतो उदा.एक ते चौदा मुखी रुद्राक्ष उपलब्ध आहेत पण पंचमुखी रुद्राक्ष अधिकतम वापरला जातो.
4. चंदन माळ: चंदनाच्या लाकडापासून बनवलेली हि माळा दोन रंगात येतात. पांढर्या रंगात आणि रक्तचन्दनापासून बनवलेली माळ लाल रंगात येते. पांढर्या चंदनाची माळ हि भगवान विष्णू, राम आणि कृष्ण उपासनेसाठी उत्तम आहे. ह्या माळेच्या नियमित वापराने शांती प्राप्त होऊन समृद्धीचे द्वार खुले होतात. आणि रक्तचंदनापासून बनवलेली माळ हि श्री गजाननाच्या उपासनेसाठी उत्तम मानली जाते.
5. स्फटिक माळ : स्फटिक मूलतः थंड असते त्यामुळे स्फटिक माळेचा जप मनशांती देणारा असतो. देवीचा जप करताना ह्या माळेचा विशेष उपयोग होतो. ह्या माळेच्या नित्य जपाने शीलसंवर्धानास सहाय्य होते.
6. पुत्र जीवी माळ : पुत्राजीव वृक्षापासून बनवलेल्या ह्या माळेमुळे पुत्ररत्न प्राप्ती होते. ह्यालाच पुत्रवंती माळा असेही म्हणतात.
फोटोशॉपमध्ये अनेक करामती करून 'होत्याचं नव्हतं' करण्याच्या आजच्या
जमान्यात हा फोटो खरा आहे यावर कुणाचा विश्वास बसणार नाही. पण हा फोटो खरा
आहे आणि फोटोतील पटकन ओळखू न येणारी व्यक्ती आहे महाराष्ट्राचे माजी
उपमुख्यमंत्री छगन भुजबळ. विस्कटलेले केस, पांढरी दाढी, रुग्णाच्या पोषाखात
थकलेल्या अवस्थेत एका व्हिलचेअरवर बसलेल्या भुजबळांचा हा फोटो सध्या सोशल
मीडियात व्हायरल झाला आहे. महाराष्ट्राच्या राजकारणात एकेकाळी 'ढाण्या वाघ'
म्हणून वावरलेल्या भुजबळांच्या या अवस्थेबद्दल सर्वत्र चर्चा रंगली आहे.
विश्वास बसणार नाही; पण हे भुजबळच आहेत!
छगन भुजबळ हे महाराष्ट्र सदन घोटाळा व बेहिशेबी मालमत्ता जमविल्याच्या
आरोपाखाली तुरुंगात आहेत. दाढदुखीचा त्रास झाल्यामुळं गेल्या सोमवारी
त्यांना सेंट जॉर्ज रुग्णालयात दाखल करण्यात आलं आहे. रुग्णालयात त्यांना
इतर सामान्य रुग्णांप्रमाणंच ठेवण्यात आलं आहे. त्यांना कोणतीही व्हीआयपी
ट्रीटमेंट देण्यात आलेली नसल्याचं समजतं. ६८ वर्षीय भुजबळांना मधुमेहाचा व
उच्च रक्तदाबाचा त्रास आहे. रुग्णालयात त्यांची नित्यनेमानं तपासणी केली
जाते. या तपासण्या व चाचण्या सुरू असतानाच रुग्णालयातील सिटी स्कॅन रूमच्या
बाहेर नंबर येण्याची वाट पाहत असताना भुजबळांचा हा फोटो कॅमेऱ्यात कैद
झाला होता.
रुग्णालयातील सूत्रांनी 'टाइम्स ऑफ इंडिया'ला दिलेल्या माहितीनुसार, भुजबळ
यांची प्रकृती आता चांगली आहे. आज त्यांच्या दातांची तपासणी केली जाणार
असून तपासणीनंतर त्यांना डिस्चार्ज दिला जाणार आहे. डिस्चार्जनंतर त्यांना
पुन्हा ऑर्थर रोड जेलमध्ये हलवलं जाणार आहे. गेल्या महिन्याच्या १४
तारखेपासून तुरुंगात असलेल्या भुजबळ यांचं वजन १० किलोंनी घटलं आहे. भुजबळ
हे पुरेसं जेवण घेत नसल्यामुळं त्याचं वजन सातत्यानं घटत असल्याचं
डॉक्टरांचं म्हणणं आहे.
रूद्राक्ष माहिती (अवश्य वाचा व सर्वानीच रूद्राक्ष धारण करवे)
जे रडणार्याकडून त्याचे दुःख घेण्याची आणि त्याला सुख देण्याची क्षमता असलेल रुद्र ± अक्ष’ या दोन शब्दांपासून रुद्राक्ष हा शब्द बनला आहे.
अ. अक्ष म्हणजे डोळा. रुद्र ± अक्ष म्हणजे जो सर्व पाहू आणि करू शकतो, (उदा. तिसरा डोळा) तो रुद्राक्ष. अक्ष म्हणजे आस. डोळा एकाच अक्षाभोवती फिरतो; म्हणून त्यालाही अक्ष म्हणतात.
आ. रुद्र म्हणजे रडका. ‘अ’ म्हणजे घेणे आणि ‘क्ष’ म्हणजे देणे; म्हणून अक्ष म्हणजे घेण्याची किंवा देण्याची क्षमता.
रुद्रवृक्ष (रुधिरवृक्ष, रुद्राक्षवृक्ष)
अ. रुद्रवृक्ष निर्माण होण्याचे पौराणिक विवेचन
तारकापुत्र अधर्माचरण करू लागल्याने विषादाने शंकराच्या नेत्रांतून पडलेल्या अश्रूंचे ‘रुद्राक्षवृक्ष’ होणे आणि शिवाने तारकापुत्रांचा नाश करणे
तडिन्माली, तारकाक्ष आणि कमलाक्ष या तारकापुत्रांनी धर्माचरण अन् शिवभक्ती करून देवत्व प्राप्त करून घेतले. काही कालावधीनंतर ते अधर्माचरण करत असल्याचे पाहून शंकर विषादग्रस्त झाला. त्याचे नेत्र अश्रूंनी डबडबले. त्याच्या नेत्रांतील चार अश्रूबिंदू पृथ्वीवर पडले. त्या अश्रूंपासून बनलेल्या वृक्षांना ‘रुद्राक्षवृक्ष’ म्हणतात. त्या चार वृक्षांपासून तांबडे, काळे, पिवळे आणि पांढरे रुद्राक्ष निर्माण झाले. नंतर शिवाने तारकापुत्रांचा नाश केला.’
शास्त्रत उल्लेख
देवीभागवत ,शिवलीलामृत ,शिवपुराण ,स्कंदपुराण,पूरश्र्चरण - चंद्रिका,उमाम्हेश्र्वर तंत्र इत्यादी ग्रंथातून रुद्रक्षाचे विस्तुत वर्णन आढळते. याशिवाय रुद्राक्षजाबालोपनिषद नावाचे उपनिषद केवळ रुद्राक्षाच्या विविध पैलूवर प्रकाशझोत टाकते, परंतु या सर्व ग्रंथांतून त्याची उत्पत्ती ,गुणधर्म,धारणविधी,उपचार पद्धती वैगेरे बाबतीत एकवाक्यता आढळत नाही आणि म्हणून नेमका कोणता ग्रंथ प्रमाणभूत मानावा असा अभ्यासकाच्या मनात संभ्रम निर्माण होतो.....
श्रीगुरू चरीत्र उल्लेख (आ. 33 वा)
श्रद्धेने किंवा श्रद्धा नसतानाही जो कोणी रुद्राक्ष धारण करतो. त्याला कोणतेही पाप लागत नाही. रुद्राक्ष धारण केल्याने मिळणारे पुण्य केवळ असीम आहे. त्या पुण्याला दुसरी उपमाच नाही. जो मनुष्य एक हजार रुद्राक्षांची माळ धारण करतो तो साक्षात रुद्र होतो. अशा माणसाला सर्व देव वंदन करतात. एक हजार रुद्राक्ष मिळू शकले नाहीत, तर एकशेआठ रुद्राक्षांची माळ गळ्यात धारण करावी. त्या माळेत नवरत्ने गुंफावीत.
रुद्राक्ष हे सर्वपापनाशक आहेत. ते हातांवर, दंडावर, मस्तकावर धारण करावेत. रुद्राक्षावर केलेला अभिषेक पूजेसमान फळ देणारा आहे. एकमुखी, पंचमुखी, एकादश-मुखी, चतुर्दशी असे विविध प्रकारचे रुद्राक्ष असतात. रुद्राक्ष खरे, अस्सल मिळाले तर उत्तमच. तसे मिळाले नाही तर कोणतेही रुद्राक्ष भक्तिभावाने धारण करावेत. त्यामुळे चतुर्विध पुरुषार्थाची प्राप्ती होते
रुद्राक्ष परीक्षा....
1. पूर्णपणे पिकलेले रुद्राक्ष कुठल्याही आकाराचे असले तरी पाण्यात टाकल्यावर बुडते. पाण्यामध्ये चटकन बुडणारे रुद्राक्ष हे अस्सल आहे याची खात्री बाळगायला हरकत नाही.जे पाण्यात डुंबत बुडेल ते खोटे, अथवा हलक्या दर्जाचे समजावे. २. रुद्राक्ष हे पाच -दहा मिनिटे तळहातात घट्ट दाबून धरले आणि नंतर हलवले तर त्यातून मंजुळ ध्वनी प्रतीत होतो. ३.तांब्याच्या २ भांड्यामध्ये व तांब्याच्या २ पटत्यांमध्ये रुद्राक्ष ठेवले असता अस्सल रुद्राक्ष लगेचच हालचाल दर्शवतो. ४. खरा रुद्राक्ष जसा तरंगत नाही तसा उकळत्या पाण्यात जर ६-८ तास ठेवला तरी त्याचे विघटन होत नाही. आणि रुद्राक्ष हे कुठल्याच बाजूने मोडत नाही वाकत नाही. ५. अस्सल रुद्राक्ष बराच वेळ दुधात ठेवला तर दूध नासत नाही. ६.रुद्राक्ष हा प्रामुख्याने गोल असतो. तो दिसायला काटेरी पण ते काटे बोथट असतात, खडबडीत, त्याचे काठिण्य भरपूर असते.
रुद्राक्ष हे एका झाडाचे फळ आहे. रुद्राक्षाचा वृक्ष मध्यम उंचीचा असतो. हिमालयाच्या परिसरात नेपाळ, भूतान व केदारनाथ येथे हे वृक्ष आहेत. यांच्या फळांना रुद्राक्ष म्हणतात. झाडावर त्याच्यावर कवच असते. ते काढल्यावर आत जे बीज मिळते तो रुद्राक्ष. रुद्राक्षाचा अंगचे भोक असते, पण ते नीट साफ करून घ्यावे लागते. आतल्या काड्या वगैरे काढाव्या लागतात.
हा समुद्रसपाटीपासून तीन सहस्र मीटर उंचीवर किंवा तीन सहस्र मीटर खोल समुद्रात सापडतो. रुद्राक्षाची झाडे कपारीत वाढतात, सपाटीत वाढत नाहीत. याच्या झाडाची पाने चिंचेच्या किंवा गुंजेच्या पानासारखी; पण अधिक लांब असतात. त्याला वर्षाला एक ते दोन सहस्र फळे लागतात. हिमालयातील यती केवळ रुद्राक्षफळ खातात. याला अमृतफळ असेही म्हणतात. ते खाल्ल्यास तहान लागत नाही
रुद्राक्षमाला गळ्यात इत्यादी धारण करून केलेला जप रुद्राक्षमाला धारण न करता केलेल्या जपाच्या सहस्र पटीने लाभदायक असतो, तर रुद्राक्षाच्या माळेने केलेला जप इतर कोणत्याही प्रकारच्या माळेने केलेल्याच्या दहा सहस्र पट लाभदायक असतो; म्हणूनच रुद्राक्षमाळेने मंत्र जपल्याविना किंवा धारण केल्याविना शीघ्र (पूर्ण) मंत्रसिद्धी प्राप्त होत नाही, असे शैव समजतात. रुद्राक्षमाळेचा अधिकाधिक लाभ मिळवण्यासाठी ती गळ्याजवळ दोर्याने तिचा गळ्याला अधिकाधिक स्पर्श होईल अशी बांधावी.
आयुर्वेदाच्या मते रुद्राक्ष आम्ल, उष्णवीर्य व आयूकफनाषक आहे.त्याचा रक्तदाबाच्या (ब्लड प्रेशरच्या) रोग्याला उपयोग होतो असे म्हणतात रात्री तांब्याच्या भांड्यात रुद्राक्ष ठेवून भांडे भरून पाणी घालावयाचे आणि सकाळी रुद्राक्ष काढून ते पाणी प्यायले असता ब्लड प्रेशरवर उपयोग होतो असे म्हणतात. योगी लोकांच्या मते प्राणतत्त्व (किंवा विद्युत शक्ती) निमय करणारी शक्ती रुद्राक्षात (रुद्राक्ष मालेत) असते. रुद्राक्ष मालेने मंत्रसाधकाला मन:शक्तीवर नियंत्रण साधता येते.
रुद्राक्ष सर्व जाती, जमाती, स्त्रीपुरुष, मुले धारण करू शकतात. रुद्राक्षाची माला एकशेआठ रुद्राक्षांची असते. सत्तावीस मण्यांचीही माला गळ्यात घालतात. रुद्राक्ष धारण करणार्यांनी शुद्ध व पवित्र राहावे हे सांगायला नकोच. वळ्याएवढा, वजनदार, मजबूत व काटेदार रुद्राक्ष सतेज व उत्तम असतो, अस्सल उत्तम रुद्राक्ष पाण्यात बुडतो अशी त्याची परीक्षा ग्रंथात सांगितली आहे. त्याचप्रमाणे ग्रंथात असे सांगितले आहे की, दोन तांब्याच्या पात्रात रुद्राक्ष मधोमध ठेवला
असता तो स्वत:भोवती हळूहळू फिरतो. रुद्राक्षाला मुखे असतात. मुख म्हणजे रुद्राक्षाच्या वरच्या भोकापासून खाल पर्यंत गेलेली तरळ रेषा. रुद्राक्षावर काटे असतात. त्यामधून ही सरळ स्पष्टपणे खाली गेलेली असते. या सरळ खालपर्यंत गेलेल्या रेषेस मुख म्हणतात. रुद्राक्षावर अशा जितक्या रेषा असतील तितक्या मुखी तो रुद्राक्ष आहे असे समजतात. नदी समुद्राला मिळते तीही अशाच अनेक प्रवाहाने समुद्राला मिळते, त्याला न दीची मुखे म्हणतात. तशीच ही रुद्राशंची मुखे होत. सध्या मिळणारे रुद्राक्ष एक ते चौदा मुखांचे असतात.
रुद्राक्षाच्या मुखावर अस्पष्ट असा शिवलिंगासारखा आकार असतो, तो अत्यंत उत्तम रुद्राक्ष होय.
रुद्राक्षाचा मूळ भाग ब्रह्मा, नाळभाग ( छेद ) विष्णू व मुखभाग रुद्र आहे. तसेच रुद्राक्षात विद्यमान बिंदू ( काटे ) समस्त देवस्वरुप आहेत...कृमीने खाल्लेले, तुटलेले, काटे नसलेले, छिद्रयुक्त व अयोग्य रुद्राक्ष अशा प्रकारचे सहा रुद्राक्ष वापरणे योग्य नाही. रुद्राक्ष धारण करणार्या मनुष्याचे मद्य, मांस, लसुण, कांदा इत्यादी पदार्थांचे सेवन करु नये. सात्त्विक भोजन व शुद्ध दिनचर्या करावी . चित्तास ( मनास ) मिथ्या विषयांपासून व पापकर्मापासून दूर ठेवावे. शुद्ध विचार मनुष्याच्या मानसिक शांतीचे दाते आहेत . रुद्राक्ष-धारण सर्व मनोविकार दूर करुन परम शांती प्रदान करते.
अशा प्रकारे रुद्राक्ष धारण केल्यास सर्व अरिष्टे नाहीशी होतात.
रुद्राक्षाची वैशिष्ट्ये
१. जड (वजनदार) आणि सतेज
२. मुखे स्पष्ट असलेला
३. ॐ, शिवलिंग, स्वस्तिक इत्यादी शुभचिन्हे असलेला
४. मोठ्यात मोठा रुद्राक्ष आणि लहानात लहान शाळीग्राम उत्तम. (मेरुतंत्र)
५. कवेत मावणार नाही, एवढा बुंधा असलेल्या, म्हणजे जुन्या झाडाचा रुद्राक्ष
६. समुद्रसपाटीपासून अधिक उंचीवर असलेल्या झाडाचा रुद्राक्ष आणि एकाच झाडाच्या वरच्या फांद्यांतील रुद्राक्ष : उंचीवरच्या रुद्राक्षांना वरून येणारे सत्त्वगुण अधिक प्रमाणात मिळतात; म्हणून ते अधिक प्रभावशाली असतात.
७. पांढर्या रंगाचा सर्वांत चांगला. त्यापेक्षा कनिष्ठ रुद्राक्ष अनुक्रमे तांबडा, पिवळा आणि काळा रंग असलेले असतात. पांढरे आणि पिवळे रुद्राक्ष सहसा आढळत नाहीत. तांबडे आणि काळे रुद्राक्ष सर्वत्र आढळतात.
रुद्राक्षाच्या मुख्यपरत्वे त्याचे प्रकार आणि त्याची देवता व गुणधर्म यांविषयी ....
१ मुखी. अत्यंत दुर्मिळ समजला जातो... महान योगीच हा धारण करतात. यामुळे षड्रीपुनवर विजय मिळवता येतो.सर्व मनोकामनापूर्ती होते. याची देवता परमात्मा शिव आहे. व धारण करणारा काहीच दिवसात विरक्त होतो.
२ मुखी.. हा अर्धनारी नटेश्वर चे प्रतीक आहे. हा धारण केला तर व्यक्तीमत्वात अमुलाग्र बदल होतो. धारणकर्त्याची कुण्डलिनी जागृत करण्याचा मार्ग सुलभ होतो. तो समोरच्या व्यक्तीला क्षणार्धात वश करू शकतो..पती पत्नी मधील ऐक्य, वैवाहिक सौख्य , दु:ख नाश, मनः शांती, उद्योगधंदा व प्रगती साठी हा धारण करतात
३ मुखी... अग्निदेवतेचे प्रतिक... हा धारण करणार्याला वाचा सिद्धी प्राप्त होते. तहान व भूकेवर विजय मिळवता येतो. बुद्धी कुशाग्र होते.
४ मुखी... ब्रम्हदेवचे प्रतीक.... याचा प्रभाव धारण कर्त्याच्या जिभेवर होतो.. अल्पावधीतच तो वक्ता साहेस्रेशू या पदविला पोहोचतो. स्मरणशक्ती तीव्र होते....
५ मुखी.. पंचानन शिवाचे प्रतीक. पंच महाभूतंचा यात समावेश होतो. धारणकर्त्याला मनःशांती प्रदान करतो. यात सर्व रुद्राक्षाचे गुण विद्यमान असतात. सर्वार्थाने उत्कृष्ट असतो. तरीही सहज उपलब्ध होतो म्हणून याकडे कोणीही लक्ष देत नाही. अन्य रुद्राक्षाकडेच आकर्षित होतात.
६ मुखी., कार्तिकेय स्वरूप. या वर माता पार्वती व माता लक्ष्मी ची सुद्धा कृपादृष्टी आहे. हा काही जण विष्णू स्वरूपही मानतात. व्यापारी लोक हा रुद्राक्ष वापरतात. या रुद्राक्षाने गल्ला कधीच रिकामा रहात नाही
७ मुखी... सप्त मातृका , अनंत नागाचे प्रतीक . माता सरस्वतीचा आशीर्वाद असतो. दीर्घायुष्य व अपघातपासून रक्षण करतो. याच्या धiरणाने मस्तकशूळ, संधीवात, विषमज्वर बरा होतो. सर्प दांवशiपासून रक्षण होते.
८ मुखी.. गणेशाचे प्रतीक.... याला चिंतामणी रुद्राक्ष सुद्धा म्हणतात.याला अष्टमातृका, त्रिदेवांचा आशीर्वाद लाभला आहे. तांत्रिक लोक याला कुण्डलिणीजागृतीचे साधन मानतात. हा जवळ असेल तर समायसूचकता अंगी बाळगते. अनेक कलामध्ये नैपुण्य येते.
९ मुखी... भैरवाचे प्रतीक.दुर्गेचा पूर्ण आशीर्वाद.हा रुद्राक्ष धारण करणार्याच्या आसपास दु:ख दैन्य दारिद्र्य कधीच फिरकत नाही.
१० मुखी..... यमराज चे प्रतीक.अष्टदीक्पाल चा आशीर्वाद. हा धारण केला तर तामसी शक्तिंपासून रक्षण होते. अनिष्ट ग्रह शांत होतात,
११ मुखी... ११ रुद्रांचे प्रतीक.,, इंद्राचे प्रतिकहि मानतात. हा अतिशय दुर्मिळ असून धारण कर्त्याचा अल्पावधीतच भाग्योदय होतो.
१२ मुखी….महाविष्णू तसेच १२ ज्योतिर्लिंगाचे प्रतीक. हा धारण केला असता व्यक्तिमत्व तेजपुंज होते. शत्रूघात व अपघातपासुन रक्षण होते.
१३ मुखी.. कामदेव स्वरूप...याला इंद्रiचा आशीर्वाद लाभला आहे.. हा श्रiध्याच्या वेळी धारण केला तर पितरांना सद्गती प्राप्त होते.
१४ मुखी... हनुमानाचे प्रतीक. हा शेंडीत धारण करतात. योग विद्येत नैपुण्य प्राप्त करण्यासाठी हा गळ्यात धारण करतात.
गौरी शंकर रुद्राक्ष... हे दोन रुद्राक्ष नैसर्गिक रित्या एकमेकांना चिकटलेले असतात, धारण कर्त्याला शिव-शिवाच्या अनुग्रहाने पूर्ण सुखशांती लाभते. हा धारण न करता देवघरात ठेवतात.
त्रिभुजी रुद्राक्ष...हा अतिशय दुर्मिळ समजला जातो. ३ रुद्राक्ष एकमेकांना चिकटलेले असतात. याला ब्रम्हा-विष्णू-महेशाचे प्रतीक समजले जाते....हा रुद्राक्ष धारण करर्त्याला काहीही कमी पडू देत नाही...
धारण विधान
शुक्ल पक्ष ...रविवार ,सोमवार ,बुधवार ,गुरुवार ,शुक्रवार ....द्वितीयेला ,पंचमी ,सप्तमी ,दशमी ,त्रयोदशी ,पौर्णिमा या तिथींना ....हस्त ,रोहिणी ,स्वाती , उत्तरा ,उत्तराषाढा उत्तराभाद्रपदा ,श्रवण ,धनिष्ठा इत्यादी नक्षत्रावर ....मेष ,कर्क ,तूळ ,मकर कुंभ लग्नावर रुद्राक्ष धारण करणे अधिक श्रेयस्कर ठरते ....
मेष -त्रिमुखी , वृषभ-षण्मुखी, मिथुन -चारमुखी, कर्क-दोनमुखी, सिंह-एकमुखी, बारामुखी ,कन्या -चारमुखी, तुला-षण्मुखी, वृश्चिक-त्रिमुखी, धनु-पाचमुखी, मकर-सातमुखी, कुंभ -सातमुखी, मीन- पाचमुखी सर्व साधारण हे प्रचलित आहेत..
जानिए पौराणिक काल के 24 चर्चित श्राप और उनके पीछे की कहानी
हिन्दू पौराणिक ग्रंथो में अनेको अनेक श्रापों का वर्णन मिलता है। हर श्राप के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर मिलती है। आज हम आपको हिन्दू धर्म ग्रंथो में उल्लेखित 24 ऐसे ही प्रसिद्ध श्राप और उनके पीछे की कहानी बताएँगे।
1. युधिष्ठिर का स्त्री जाति को श्राप महाभारत के शांति पर्व के अनुसार युद्ध समाप्त होने के बाद जब कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण तुम्हारा बड़ा भाई था तो पांडवों को बहुत दुख हुआ। तब युधिष्ठिर ने विधि-विधान पूर्वक कर्ण का भी अंतिम संस्कार किया। माता कुंती ने जब पांडवों को कर्ण के जन्म का रहस्य बताया तो शोक में आकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को श्राप दिया कि - आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेगी।
2. ऋषि किंदम का राजा पांडु को श्राप महाभारत के अनुसार एक बार राजा पांडु शिकार खेलने वन में गए। उन्होंने वहां हिरण के जोड़े को मैथुन करते देखा और उन पर बाण चला दिया। वास्तव में वो हिरण व हिरणी ऋषि किंदम व उनकी पत्नी थी। तब ऋषि किंदम ने राजा पांडु को श्राप दिया कि जब भी आप किसी स्त्री से मिलन करेंगे। उसी समय आपकी मृत्यु हो जाएगी। इसी श्राप के चलते जब राजा पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ मिलन कर रहे थे, उसी समय उनकी मृत्यु हो गई।
3. माण्डव्य ऋषि का यमराज को श्राप महाभारत के अनुसार माण्डव्य नाम के एक ऋषि थे। राजा ने भूलवश उन्हें चोरी का दोषी मानकर सूली पर चढ़ाने की सजा दी। सूली पर कुछ दिनों तक चढ़े रहने के बाद भी जब उनके प्राण नहीं निकले, तो राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने ऋषि माण्डव्य से क्षमा मांगकर उन्हें छोड़ दिया। तब ऋषि यमराज के पास पहुंचे और उनसे पूछा कि मैंने अपने जीवन में ऐसा कौन सा अपराध किया था कि मुझे इस प्रकार झूठे आरोप की सजा मिली। तब यमराज ने बताया कि जब आप 12 वर्ष के थे, तब आपने एक फतींगे की पूंछ में सींक चुभाई थी, उसी के फलस्वरूप आपको यह कष्ट सहना पड़ा। तब ऋषि माण्डव्य ने यमराज से कहा कि 12 वर्ष की उम्र में किसी को भी धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं होता। तुमने छोटे अपराध का बड़ा दण्ड दिया है। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम्हें शुद्र योनि में एक दासी पुत्र के रूप में जन्म लेना पड़ेगा। ऋषि माण्डव्य के इसी श्राप के कारण यमराज ने महात्मा विदुर के रूप में जन्म लिया।
4. नंदी का रावण को श्राप वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार रावण भगवान शंकर से मिलने कैलाश गया। वहां उसने नंदीजी को देखकर उनके स्वरूप की हंसी उड़ाई और उन्हें बंदर के समान मुख वाला कहा। तब नंदीजी ने रावण को श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा।
5. कद्रू का अपने पुत्रों को श्राप महाभारत के अनुसार ऋषि कश्यप की कद्रू व विनता नाम की दो पत्नियां थीं। कद्रू सर्पों की माता थी व विनता गरुड़ की। एक बार कद्रू व विनता ने एक सफेद रंग का घोड़ा देखा और शर्त लगाई। विनता ने कहा कि ये घोड़ा पूरी तरह सफेद है और कद्रू ने कहा कि घोड़ा तो सफेद हैं, लेकिन इसकी पूंछ काली है। कद्रू ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए अपने सर्प पुत्रों से कहा कि तुम सभी सूक्ष्म रूप में जाकर घोड़े की पूंछ से चिपक जाओ, जिससे उसकी पूंछ काली दिखाई दे और मैं शर्त जीत जाऊं। कुछ सर्पों ने कद्रू की बात नहीं मानी। तब कद्रू ने अपने उन पुत्रों को श्राप दिया कि तुम सभी जनमजेय के सर्प यज्ञ में भस्म हो जाओगे।
6. उर्वशी का अर्जुन को श्राप महाभारत के युद्ध से पहले जब अर्जुन दिव्यास्त्र प्राप्त करने स्वर्ग गए, तो वहां उर्वशी नाम की अप्सरा उन पर मोहित हो गई। यह देख अर्जुन ने उन्हें अपनी माता के समान बताया। यह सुनकर क्रोधित उर्वशी ने अर्जुन को श्राप दिया कि तुम नपुंसक की भांति बात कर रहे हो। इसलिए तुम नपुंसक हो जाओगे, तुम्हें स्त्रियों में नर्तक बनकर रहना पड़ेगा। यह बात जब अर्जुन ने देवराज इंद्र को बताई तो उन्होंने कहा कि अज्ञातवास के दौरान यह श्राप तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हें कोई पहचान नहीं पाएगा।
7. तुलसी का भगवान विष्णु को श्राप शिवपुराण के अनुसार शंखचूड़ नाम का एक राक्षस था। उसकी पत्नी का नाम तुलसी था। तुलसी पतिव्रता थी, जिसके कारण देवता भी शंखचूड़ का वध करने में असमर्थ थे। देवताओं के उद्धार के लिए भगवान विष्णु ने शंखचूड़ का रूप लेकर तुलसी का शील भंग कर दिया। तब भगवान शंकर ने शंखचूड़ का वध कर दिया। यह बात जब तुलसी को पता चली तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर हो जाने का श्राप दिया। इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु की पूजा शालीग्राम शिला के रूप में की जाती है।
8. श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को श्राप पाण्डवों के स्वर्गारोहण के बाद अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित ने शासन किया। उसके राज्य में सभी सुखी और संपन्न थे। एक बार राजा परीक्षित शिकार खेलते-खेलते बहुत दूर निकल गए। तब उन्हें वहां शमीक नाम के ऋषि दिखाई दिए, जो मौन अवस्था में थे। राजा परीक्षित ने उनसे बात करनी चाहिए, लेकिन ध्यान में होने के कारण ऋषि ने कोई जबाव नहीं दिया। ये देखकर परीक्षित बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने एक मरा हुआ सांप उठाकर ऋषि के गले में डाल दिया। यह बात जब शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी को पता चली तो उन्होंने श्राप दिया कि आज से सात दिन बात तक्षक नाग राजा परीक्षित को डंस लेगा, जिससे उनकी मृत्यु हो जाएगी।
9. राजा अनरण्य का रावण को श्राप वाल्मीकि रामायण के अनुसार रघुवंश में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुई। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई। मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इन्हीं के वंश में आगे जाकर भगवान श्रीराम ने जन्म लिया और रावण का वध किया। 10. परशुराम का कर्ण को श्राप महाभारत के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के ही अंशावतार थे। सूर्यपुत्र कर्ण उन्हीं का शिष्य था। कर्ण ने परशुराम को अपना परिचय एक सूतपुत्र के रूप में दिया था। एक बार जब परशुराम कर्ण की गोद में सिर रखकर सो रहे थे, उसी समय कर्ण को एक भयंकर कीड़े ने काट लिया। गुरु की नींद में विघ्न न आए, ये सोचकर कर्ण दर्द सहते रहे, लेकिन उन्होंने परशुराम को नींद से नहीं उठाया। नींद से उठने पर जब परशुराम ने ये देखा तो वे समझ गए कि कर्ण सूतपुत्र नहीं बल्कि क्षत्रिय है। तब क्रोधित होकर परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया कि मेरी सिखाई हुई शस्त्र विद्या की जब तुम्हें सबसे अधिक आवश्यकता होगी, उस समय तुम वह विद्या भूल जाओगे।
11. तपस्विनी का रावण को श्राप वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।
12. गांधारी का श्रीकृष्ण को श्राप महाभारत के युद्ध के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण गांधारी को सांत्वना देने पहुंचे तो अपने पुत्रों का विनाश देखकर गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार पांडव और कौरव आपसी फूट के कारण नष्ट हुए हैं, उसी प्रकार तुम भी अपने बंधु-बांधवों का वध करोगे। आज से छत्तीसवें वर्ष तुम अपने बंधु-बांधवों व पुत्रों का नाश हो जाने पर एक साधारण कारण से अनाथ की तरह मारे जाओगे। गांधारी के श्राप के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण के परिवार का अंत हुआ।
13. महर्षि वशिष्ठ का वसुओं को श्राप महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह पूर्व जन्म में अष्ट वसुओं में से एक थे। एक बार इन अष्ट वसुओं ने ऋषि वशिष्ठ की गाय का बलपूर्वक अपहरण कर लिया। जब ऋषि को इस बात का पता चला तो उन्होंने अष्ट वसुओं को श्राप दिया कि तुम आठों वसुओं को मृत्यु लोक में मानव रूप में जन्म लेना होगा और आठवें वसु को राज, स्त्री आदि सुखों की प्राप्ति नहीं होगी। यही आठवें वसु भीष्म पितामह थे।
14. शूर्पणखा का रावण को श्राप वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था। वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।
15. ऋषियों का साम्ब को श्राप महाभारत के मौसल पर्व के अनुसार एक बार महर्षि विश्वामित्र, कण्व आदि ऋषि द्वारका गए। तब उन ऋषियों का परिहास करने के उद्देश्य से सारण आदि वीर कृष्ण पुत्र साम्ब को स्त्री वेष में उनके पास ले गए और पूछा कि इस स्त्री के गर्भ से क्या उत्पन्न होगा। क्रोधित होकर ऋषियों ने श्राप दिया कि श्रीकृष्ण का ये पुत्र वृष्णि और अंधकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए लोहे का एक भयंकर मूसल उत्पन्न करेगा, जिसके द्वारा समस्त यादव कुल का नाश हो जाएगा।
16. दक्ष का चंद्रमा को श्राप शिवपुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से करवाया था। उन सभी पत्नियों में रोहिणी नाम की पत्नी चंद्रमा को सबसे अधिक प्रिय थी। यह बात अन्य पत्नियों को अच्छी नहीं लगती थी। ये बात उन्होंने अपने पिता दक्ष को बताई तो वे बहुत क्रोधित हुए और चंद्रमा को सभी के प्रति समान भाव रखने को कहा, लेकिन चंद्रमा नहीं माने। तब क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग होने का श्राप दिया।
17. माया का रावण को श्राप रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था। माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के यहां गया। वहां रावण ने माया को अपनी बातों में फंसा लिया। इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को बंदी बना लिया। उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई। जब माया सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ चलने को कहा। तब माया ने कहा कि तुमने वासना युक्त होकर मेरा सतित्व भंग करने का प्रयास किया। इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो गई, अत: तुम्हारी मृत्यु भी इसी कारण होगी। 18. शुक्राचार्य का राजा ययाति को श्राप महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार राजा ययाति का विवाह शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के साथ हुआ था। देवयानी की शर्मिष्ठा नाम की एक दासी थी। एक बार जब ययाति और देवयानी बगीचे में घूम रहे थे, तब उसे पता चला कि शर्मिष्ठा के पुत्रों के पिता भी राजा ययाति ही हैं, तो वह क्रोधित होकर अपने पिता शुक्राचार्य के पास चली गई और उन्हें पूरी बात बता दी। तब दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने ययाति को बूढ़े होने का श्राप दे दिया था।
19. ब्राह्मण दंपत्ति का राजा दशरथ को श्राप वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार जब राजा दशरथ शिकार करने वन में गए तो गलती से उन्होंने एक ब्राह्मण पुत्र का वध कर दिया। उस ब्राह्मण पुत्र के माता-पिता अंधे थे। जब उन्हें अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार मिला तो उन्होंने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस प्रकार हम पुत्र वियोग में अपने प्राणों का त्याग कर रहे हैं, उसी प्रकार तुम्हारी मृत्यु भी पुत्र वियोग के कारण ही होगी।
20. नंदी का ब्राह्मण कुल को श्राप शिवपुराण के अनुसार एक बार जब सभी ऋषिगण, देवता, प्रजापति, महात्मा आदि प्रयाग में एकत्रित हुए तब वहां दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का तिरस्कार किया। यह देखकर बहुत से ऋषियों ने भी दक्ष का साथ दिया। तब नंदी ने श्राप दिया कि दुष्ट ब्राह्मण स्वर्ग को ही सबसे श्रेष्ठ मानेंगे तथा क्रोध, मोह, लोभ से युक्त हो निर्लज्ज ब्राह्मण बने रहेंगे। शूद्रों का यज्ञ करवाने वाले व दरिद्र होंगे।
21. नलकुबेर का रावण को श्राप वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी। अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने उसे पकड़ लिया। तब उस अप्सरा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं। इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं। लेकिन रावण ने उसकी बात नहीं मानी और रंभा से दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श करेगा तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा।
22. श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप महाभारत युद्ध के अंत समय में जब अश्वत्थामा ने धोखे से पाण्डव पुत्रों का वध कर दिया, तब पाण्डव भगवान श्रीकृष्ण के साथ अश्वत्थामा का पीछा करते हुए महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक पहुंच गए। तब अश्वत्थामा ने पाण्डवों पर ब्रह्मास्त्र का वार किया। ये देख अर्जुन ने भी अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा। महर्षि व्यास ने दोनों अस्त्रों को टकराने से रोक लिया और अश्वत्थामा और अर्जुन से अपने-अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा। तब अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा ये विद्या नहीं जानता था। इसलिए उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी। यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और किसी भी जगह, किसी पुरुष के साथ तुम्हारी बातचीत नहीं हो सकेगी। तुम्हारे शरीर से पीब और लहू की गंध निकलेगी। इसलिए तुम मनुष्यों के बीच नहीं रह सकोगे। दुर्गम वन में ही पड़े रहोगे।
23. तुलसी का श्रीगणेश को श्राप ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार तुलसीदेवी गंगा तट से गुजर रही थीं, उस समय वहां श्रीगणेश तप कर रहे थे। श्रीगणेश को देखकर तुलसी का मन उनकी ओर आकर्षित हो गया। तब तुलसी ने श्रीगणेश से कहा कि आप मेरे स्वामी हो जाइए, लेकिन श्रीगणेश ने तुलसी से विवाह करने से इंकार कर दिया। क्रोधवश तुलसी ने श्रीगणेश को विवाह करने का श्राप दे दिया और श्रीगणेश ने तुलसी को वृक्ष बनने का।
24. नारद का भगवान विष्णु को श्राप शिवपुराण के अनुसार एक बार देवऋषि नारद एक युवती पर मोहित हो गए। उस कन्या के स्वयंवर में वे भगवान विष्णु के रूप में पहुंचे, लेकिन भगवान की माया से उनका मुंह वानर के समान हो गया। भगवान विष्णु भी स्वयंवर में पहुंचे। उन्हें देखकर उस युवती ने भगवान का वरण कर लिया। यह देखकर नारद मुनि बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस प्रकार तुमने मुझे स्त्री के लिए व्याकुल किया है। उसी प्रकार तुम भी स्त्री विरह का दु:ख भोगोगे। भगवान विष्णु ने राम अवतार में नारद मुनि के इस श्राप को पूरा किया । shrap curse
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हा प्रश्न अनेकांना पडला असेल. त्या प्रश्नाचं उत्तर या लेखात मिळेल.
हिमोग्लोबिन, प्लाझ्माप्रमाणे प्लेटलेट्स हादेखील रक्तातील एक महत्त्वाचा घटक आहे.
रक्त पातळ होऊ न देण्याचं तसंच रक्तवाहिन्यांना इजा झाल्यास रक्तस्त्राव अधिक प्रमाणात होऊ न देण्याचं काम या ‘प्लेटलेट्स’ करतात.
या प्लेटलेट्स मुळातच एखाद्या प्लेटप्रमाणे दिसतात.
त्यामुळे त्यांना ‘प्लेटलेट्स’ हे नाव शास्त्रज्ञांनी दिलं आहे.
या पेशींसाठी वैद्यकीय भाषेत ‘थ्रोम्बोसाइट्स’ ही संज्ञा वापरली आहे.
रक्तामध्ये प्रामुख्याने तीन पेशी असतात.
लालपेशी (आरबीसी),
पांढऱ्या पेशी (डब्लूबीसी)
आणि
प्लेटलेट्स (तंतुकणिका).
त्यापैकी रक्तामध्ये ‘प्लेटलेट्स’ची संख्या सर्वाधिक असते.
प्लेटलेट्स या मोठया हाडांतील
रक्तमज्जेत (रेड बोनमॅरो) असणाऱ्या
मेगा कॅरोसाइट्स या पेशींपासून तयार होतात.
त्यांचं रक्तातील आयुष्य सर्वसाधारणपणे 5-9 दिवसांचं असतं.
जुन्या झालेल्या प्लेटलेट्स प्लीहा (स्टीन) आणि यकृत (लिव्हर) या मध्ये नाश पावतात.
⚡प्लेटलेट्सचं कार्य⚡
रक्तवाहिन्यांतून वाहणारं रक्त हे प्रवाही राहणं महत्त्वाचं असतं.
ऑक्सिजन वहनाचं प्रमुख कार्य रक्तातून होतं.
तसंच रक्त शरीरातील विभिन्न अवयवांचे पेशीस्तरांवर पोषण करते.
एखादी जखम झाल्यास रक्तवाहिन्यांमधून रक्त अधिक प्रमाणात वाहून गेल्यास जीवितहानीदेखील होऊ शकते.
अशा वेळेस जखम झालेल्या ठिकाणी प्लेटलेट्स आणि फायबर एकत्र येऊन रक्तप्रवाह खंडित करण्याचं काम करतात.
त्यामुळेच प्लेटलेट्सना ‘मानवी शरीराची कवचकुंडलं’ म्हटलं जातं.
⚡प्लेटलेट्सची संख्या ⚡ platelet count meaning in marathi
सर्वसाधारणपणे मानवी शरीरातील प्लेटलेट्सची संख्या दीड ते साडेचार लाख इतकी असते.
संख्या प्रमाणापेक्षा अधिक झाल्यास रक्ताची गुठळी होऊन,
रक्तवाहिन्यांतील रक्तप्रवाहाला अडथळा निर्माण होऊ शकतो.
त्यामुळे हृदयरोग, स्ट्रोक यांसारखे आजार होतात.
हातापायाच्या रक्तवाहिन्यांमध्ये अडथळा निर्माण झाल्यास,
शरीराचा तो भाग बधीर होऊन निकामी होऊ शकतो.
संख्या प्रमाणापेक्षा कमी झाल्यास रक्तस्त्राव अधिक होतो.
म्हणजे नाकातून, हिरडयांमधून, थुंकीतून रक्त पडतं.
त्वचेवर लालसर ठिपके येतात. मासिक रज:स्रव अधिक प्रमाणात होतो.
जखम झाल्यास रक्तस्रव आटोक्यात येत नाही.
जास्त रक्त गेल्याने थकवा येतो.
डेंग्यू, मलेरिया या साथीच्या तापात प्लेटलेट्सची संख्या अचानक कमी होऊ शकते.
त्यामुळे 2-3 दिवसांचा ताप आल्यास,
त्या त्या रोगांची लक्षणे दिसल्यास वैद्यकीय सल्ल्याने त्वरित रक्ततपासणी (सीबीसी टेस्ट) करून घ्यावी. त्यानुसारच उपाययोजना करावी.
⚡प्लेटलेट्सची संख्या कमी झाल्यास लक्षात ठेवायच्या गोष्टी :
• लसूण खाऊ नये.
• अधिक श्रमाचे व्यायाम तसंच दगदग करु नये.
• अॅस्प्रिन, कोल्डडॅगसारखी औषधे घेऊ नयेत.
• दात घासताना ब्रश लागणार नाही, याची दक्षता घ्यावी.
• सु-या, कातरी वापरताना काळजीने वापरावे.
• बद्धकोष्ठता होणार नाही, याची काळजी घ्यावी.
• त्वरित डॉक्टरांचा सल्ला घ्यावा.
प्लेटलेट्स कमी झाल्यास,
त्या बाहेरून घ्याव्या लागतात. इतर कुठलेही उपाय अजून खात्रीशीररीत्या सिद्ध झालेले नाहीत.
प्लेटलेट्ससाठी गोळया किंवा औषधंही नाहीत.
पौष्टिक आहारातूनच प्लेटलेट्सचं प्रमाण नियंत्रणात ठेवता येतं.
⚡नैसर्गिकरीत्या ब्लड प्लेटलेट्स वाढवण्यात मदत करतील हे 7 पदार्थ .
जर तुम्ही शरीरात कमी होत चाललेल्या प्लेटलेट्समुळे चिंताग्रस्त असाल तर घाबरू नका कारण तुम्ही तुमचा आहारात काही पदार्थांचा समावेश करून ब्लड प्लेटलेट्स नैसर्गिक पद्धतीने वाढवू शकता.
शरीरात प्लेटलेट्सची संख्या कमी होण्याच्या स्थितीला थ्रोम्बोसायटोपेनिया नावाने ओळखले जाते. या निरोगी व्यक्तीच्या शरीरात सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार ते 450 हजार प्रती मायक्रोलीटर असतो. परंतु जेव्हा हा काउंट 150 हजार प्रती मायक्रोलीटरपेक्षा खाली येतो तेव्हा याला लो प्लेटलेट मानले जाते. काही विशिष्ठ प्रकरच्या औषधी, अनुवांशिक रोग, कँसर, केमोथेरपी ट्रीटमेंट, अल्कोहलचे जास्त सेवन आणि काही विशिष्ठ प्रकारचे आजार उदा. डेंग्यू, मलेरिया, चिकनगुण्या झाल्यानंतर ब्लड प्लेटलेट्सची संख्या कमी होते.
पुढे जाणून घ्या, नैसर्गिक पद्धतीने प्लेटलेट्स वाढण्व्यासाठी आहारात कोणत्या पदार्थांचा समावेश करावा....
⚡१.पपई -⚡
पपईचे फळ आणि झाडाची पानं दोन्हींचा उपयोग कमी असलेल्या प्लेटलेट्स थोड्याच दिवसात वाढवण्यास मदत करते. 2009 मध्ये मलेशिया येथे वैज्ञानिकांनी केलेल्या एका सर्व्हेमध्ये आढळून आले की, डेंग्यू आजारात रक्तातील कमी होणाऱ्या प्लेटलेटची संख्या पपई पानांच्या रसाचे सेवन केल्याने वाढू शकते. पपईचे पानं तुम्ही चहाप्रमाणे पाण्यात उकळून घेऊ शकता. याची चव ग्रीन टी प्रमाणे असते.
⚡२.गुळवेल⚡
गुळवेलचे ज्यूस ब्लड प्लेटलेट वाढवण्यामध्ये महत्त्वाची भूमिका पार पडते. डेंग्यू झालेल्या रुग्णाने याचे सेवन प्लेटलेट्स वाढवण्यासाठी कर्वे तसेच यामुळे रोगप्रतिकारकशक्ती वाढते. दोन चमचे गुळवेल सत्व एक चमचा मधासोबत दिवसातून दोन वेळेस घ्यावे किंवा गुळवेलची काडी रात्रभर पाण्यात भिजवून ठेवावी आणि सकाळी उठल्यानंतर हे पाणी गाळून प्यावे. या उपायाने ब्लड प्लेटलेट वाढण्यास मदत होईल. गुळवेल सत्व आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोअरवर सहजपणे उपलब्ध होते.
⚡३.आवळा⚡
प्लेटलेट्स वाढवण्यासाठी आवळा लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार आहे. आवळ्यामध्ये भरपूर प्रमाणात उपलब्ध असलेले व्हिटॅमिन 'सी' प्लेटलेट्स वाढवण्याचे आणि तुम्ही प्रतिकारशक्ती मजबूत करण्यास मदत करते. दररोज सकाळी नियमितपणे रिकाम्या पोटी 3-4 आवळे खावेत. दोन चमचे आवळ्याच्या ज्यूसमध्ये मध टाकून तुम्ही हे मिश्रण घेऊ शकता.
⚡४.भोपळा⚡
भोपळा कमी प्लेटलेट कांउटमध्ये सुधार करणारा उपयुक्त आहार आ
हे. भोपळा व्हिटॅमिन 'ए' ने समृद्ध असल्यामुळे प्लेटलेटचा योग्य विकास होण्यास मदत करतो. हा कोशिकांमध्ये उत्पन्न होणाऱ्या प्रोटीनला नियंत्रित करतो. यामुळे प्लेटलेट्सचा स्तर वाढवण्यास मदत होते. भोपळ्याच्या अर्धा ग्लास ज्यूसमध्ये दोन चमचे मध टाकून दिवसातून दोन वेळेस घेतल्यास रक्तातील प्लेटलेट्सची संख्या वाढते.
⚡५.पालक⚡
पालक व्हिटॅमिन 'के'चा चांगला स्रोत असून अनेकवेळा कमी प्लेटलेट विकाराच्या उपचारामध्ये याचा उपयोग केला जातो. व्हिटॅमिन 'के' योग्य पद्धतीने होणाऱ्या ब्लड क्लॉटिंगसाठी आवश्यक आहे. अशाप्रकारे पालक जास्त प्रमाणात होणाऱ्या ब्लीडींगचा धोका कमी करण्यात सहाय्यक ठरतो. दोन कप पाण्यामध्ये 4 ते 5 पालकाची ताजी पानं थोडावेळ उकळून घ्या. त्यानंतर हे पाणी थंड झाल्यानंतर यामध्ये अर्धा ग्लास टोमॅटोचा रस मिसळा. हे मिश्रण दिवसातून दोन ते तीन वेळेस घ्या. या व्यतिरिक्त तुम्ही पालकाचे सेवन सलाड, सूप, भाजी स्वरुपात करू शकता.
⚡६.नारळ पाणी⚡
शरीरात ब्लड प्लेटलेट वाढवण्यात नारळ पाणी खूप सहाय्यक ठरते. नारळ पाण्यामध्ये इलेक्ट्रोलाइट्स भरपूर प्रमाणात असतात. या व्यतिरिक्त हे पाणी मिनरलचा उत्तम स्रोत आहे. हे शरीरातील ब्लड प्लेटलेट्सची कमतरता भरून काढण्यास उपयुक्त आहे.
⚡७.बीट ⚡
बीटचे सेवन प्लेटलेट वाढवणार सर्वात लोकप्रिय आहार आहे. नैसर्गिक अँटीऑक्सीडेंट आणि हेमोस्टॅटिक गुणांनी भरपूर असल्यामुळे, बीट प्लेटलेट काउंट थोड्याच दिवसात वाढवण्याचे काम करते. दोन ते तीन चमचे बीट रस एक ग्लास गाजराच्या रसामध्ये मिसळून घेतल्यास ब्लड प्लेटलेट्सची संख्या जलद गतीने वाढते. यामध्ये उपलब्ध असलेल्या अँटीऑक्सीडेंट गुणामुळे शरीरातील रोगप्रतिकारकशक्ती वाढते
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