जयपुर। शरीर पर शौकिया तौर पर टैटू बनवाने का शौक
गंभीर बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और टैटू
प्रेमियों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं होने के कारण इनसे पनपने वाली
बीमारियों से दूसरे लोग संक्रमित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के
अनुसार टैटू बनवाने वाले लोग कई तरह की एलर्जी और गंभीर बीमारियों से
ग्रसित हो सकते हैं। इनके द्वारा डोनेट किया गया ब्लड किसी स्वस्थ व्यक्ति
को बीमारी से ग्रसित कर सकता है।
गौरतलब है कि शरीर पर टैटू बनाने वाले शहर में गली -नुक्कड़ों पर बैठे दिख जाते है। ये अपने ब्लॉक्स, सुईयों और अन्य माध्यमों से हाथ, पीठ, पैर और बांहों पर टैटू बनाते हैं। महिलांए तो पेट और पीठ पर टैटू बनवाती हैं और इससे खून की नाडिय़ां प्रभावित हो सकती हैं। अब तो मशीन के जरिए भी टैटू बनाए जाते हैं । इसमें सुई का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बार इस्तेमाल करने से संक्रमित हो जाती है और दोबारा इस्तेमाल करने से सुई पर लगा संक्रमण दूसरे व्यक्ति के खून में पहुंचकर कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि टैटू बनवाने में मेटल कलरों का इस्तेमाल किया जाता है और वह मेटल खून में पहुंच जाता है, इससे खून में विकार पैदा हो जाता है और इसे सामान्य होने में काफी समय लग जाता है।
विशेषज्ञों की माने तो टैटू से इन्फेक्शन फैलने का खतरा बहुत है। टैटू बनाने के लिए जिस तरह की सुई का इस्तेमाल होता है उससे इन्फेक्शन का खतरा रहता है, जो सूई काम में ली जाती है उसे अगर ठीक से स्ट्रेलाइज नहीं किया जाता है तो उससे ब्लड ट्रांसमिशन होने का खतरा है । जानकारों के अनुसार सरकार का प्रयास होना चाहिए कि वह लोगों को इस बारे में सतर्क करे। चिकित्सा विसेषज्ञों का मानना है कि टैटू कई बार तो तत्काल अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं और कई बार लंबे समय के बाद बीमारी सामने आती है।
गौरतलब है कि शरीर पर टैटू बनाने वाले शहर में गली -नुक्कड़ों पर बैठे दिख जाते है। ये अपने ब्लॉक्स, सुईयों और अन्य माध्यमों से हाथ, पीठ, पैर और बांहों पर टैटू बनाते हैं। महिलांए तो पेट और पीठ पर टैटू बनवाती हैं और इससे खून की नाडिय़ां प्रभावित हो सकती हैं। अब तो मशीन के जरिए भी टैटू बनाए जाते हैं । इसमें सुई का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बार इस्तेमाल करने से संक्रमित हो जाती है और दोबारा इस्तेमाल करने से सुई पर लगा संक्रमण दूसरे व्यक्ति के खून में पहुंचकर कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि टैटू बनवाने में मेटल कलरों का इस्तेमाल किया जाता है और वह मेटल खून में पहुंच जाता है, इससे खून में विकार पैदा हो जाता है और इसे सामान्य होने में काफी समय लग जाता है।
विशेषज्ञों की माने तो टैटू से इन्फेक्शन फैलने का खतरा बहुत है। टैटू बनाने के लिए जिस तरह की सुई का इस्तेमाल होता है उससे इन्फेक्शन का खतरा रहता है, जो सूई काम में ली जाती है उसे अगर ठीक से स्ट्रेलाइज नहीं किया जाता है तो उससे ब्लड ट्रांसमिशन होने का खतरा है । जानकारों के अनुसार सरकार का प्रयास होना चाहिए कि वह लोगों को इस बारे में सतर्क करे। चिकित्सा विसेषज्ञों का मानना है कि टैटू कई बार तो तत्काल अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं और कई बार लंबे समय के बाद बीमारी सामने आती है।
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